सेहत को घुटनों के बल ला सकता है स्मार्टफोन, 3 घंटे से ज्यादा फोन चलाने से हो सकती है ये गंभीर बीमारी!

Admin
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13th April 2023,Mumbai: स्मार्टफोन, कंप्यूटर कभी भी जरूरत से ज्यादा हमारे लिए सही नहीं रहा है.किसी भी उम्र के लोगों के लिए एक सीमा के बाद स्क्रीन पर बने रहना खतरे से खाली नहीं है लेकिन  COVID-19 महामारी के साथ, डिजिटल में बड़े पैमाने पर बदलाव ने हम सभी को अपने स्मार्टफोन, कंप्यूटर या अन्य उपकरणों पर निर्भर बना दिया है. स्कूल या ऑफिस का काम अत्यधिक स्मार्ट उपकरणों के उपयोग के आसपास केंद्रित है.जिसका बुरा असर हम सबके आंखों के सामने है.जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल हमे कई बीमारियों का तोहफा दे रहा है.स्क्रीन के संपर्क में रहने से हम खराब पॉस्चर में बैठते हैं, जिस वजह से पिठ में तेज दर्द की समस्या सहित और भी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो रही है.

3 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन चलाना खतरनाक- स्ट़डी

इसका प्रमाण ब्राजील के शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा दिया गया है,जिन्होंने रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य के लिए कई जोखिम कारकों की पहचान की, जिसमें पेट के बल बैठना या लेटना और हर दिन तीन घंटे से अधिक समय तक स्क्रीन का उपयोग करना शामिल है.साइंटिफिक जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में सामने आया कि एक दिन में 3 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोना का इस्तेमाल करने से टीनएजर्स को पीठ दर्द या खराब पॉस्चर की समस्या हो सकती है.

थेरैसिक स्पाइन पेन पर केंद्रित है अध्ययन

ये स्टडी थेरैसिक स्पाइन पेन पर कंद्रित था,थोरैसिक रीढ़ छाती के पीछे स्थित होती है जो कि कंधे के ब्लेड के बीच और गर्दन के नीचे से कमर तक फैली होई है,इस शोध में हाई स्कूल के पहले और दूसरे वर्ष के 14 से 18 साल के पुरुष औऱ महिला छात्रों को शामिल किया गया था. इसमें 1628 छात्रों ने हिस्सा लिया था.शोध में पता चला है कि थोरैसिक स्पाइन पेन से लड़कों के मुकाबले लड़कियां ज्यादा प्रभावित हैं.अध्ययन कहता है, थोरैसिक स्पाइन पेन (TSP) का प्रसार दुनिया भर की सामान्य आबादी में आयु वर्ग के अनुसार भिन्न होता है, वयस्कों के लिए प्रसार दर 15% से 35% तक और बच्चों और किशोरों के लिए 13% से 35% तक होती है। स्पष्ट रूप से, यह मुद्दा और भी बदतर हो गया क्योंकि COVID-19 महामारी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग तेजी से बढ़ा. सर्वेक्षण ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि पीठ दर्द वाले बच्चे और किशोर अधिक गतिहीन होते हैं, अकादमिक रूप से खराब प्रदर्शन करते हैं, और अधिक मनोसामाजिक मुद्दे होते हैं.

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