झांसी में अंधविश्वास बना चार दिन की बच्ची की मौत का कारण

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मौत के बाद भी चला रहा ड्रामा

झांसी में अंधविश्वास ने चार दिन की बच्ची के जीवन को समाप्त कर दिया। लोग बेटियों के जन्म को उत्सव की तरह मानते हैं पर झांसी में कुछ ऐसा हुआ कि बच्ची की जान ही चली गई। 5 अप्रैल गुरुवार को गुरसराय के ग्राम मड़ोरी में एक बच्ची का जन्म हुआ था। बच्ची के माता-पिता ओमप्रकाश और पूजा है। यह उनकी दूसरी संतान थी। बच्ची को देखने पहले गांव के दो चार लोग ही आए थे मासूम बच्ची का अजीब चेहरा देख उसे माता दुर्गा का रूप समझने लगे और यह बात पूरे गांव में फैल गई। घटना चैत्र दुर्गा पूजा की कुछ दिन पहले की थी लोग बच्ची को माता दुर्गा का रूप समझने लगे। गांव के सभी बच्चे, बूढ़े, बुजुर्ग, महिला, पुरुष बच्ची को देखने के लिए उनके घर पर जमावड़ा लगा दिया और पूजा पाठ करना शुरू कर दिया।

ग्रामीणों ने इसलिए समझा बच्ची को माता दुर्गा का रूप

बच्ची को जन्म से ही न्यूरल ट्यूब दोष था जिस कारण उसका सिर और चेहरा अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाया था जिस कारण जन्म से ही बच्ची का चेहरा थोड़ा अजीब था। और बच्ची का जन्म भी चैत्र दुर्गा पूजा के थोड़े दिन पहले ही हुआ इस कारण इस अंधविश्वास को और अधिक गति मिल गई। ग्रामीणों ने पूरे दिन बच्ची को धूप में रखा और उसकी आरती करने लगे और पैसे चढ़ाने लगे जिससे बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी और उसकी मौत हो गई। पर इतना ही नहीं मौत के बाद भी यह ड्रामा चलता रहा और ग्रामीण उनकी उसकी पूजा पाठ करते रहें।

मौत के बाद प्रवाहित कर दिया नदी में

ग्रामीणों के अंधविश्वास ने बच्ची को मौत के घाट उतार दिया। उसकी मौत होने के बाद ग्रामीणों ने बच्ची को बेतवा नदी किनारे ढिकोली घाट पर प्रवाहित कर दिया। ग्रामीणों ने यह समझ लिया है कि चैत्र दुर्गा पूजा से पहले उनके गांव में माता दुर्गा का आगमन हुआ है।

दो दिन तक गांव में चला रहा भजन कीर्तन और पूजा पाठ

ग्रामीणों ने बच्ची को माता दुर्गा का रूप समझ लिया और दो दिन तक गांव में भजन कीर्तन और पूजा पाठ करते रहें। गांव में बिल्कुल ही उत्सव का माहौल बन गया था बच्ची की आरती की जाती थी और उसे पैसे चढ़ाए जाते थे इतना ही नहीं बच्ची की मौत के बाद अब गांव वाले उन्हें चढ़ावे के रूप में कन्या भोज करने का भी आयोजन कर रहे हैं।

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