सबसे कम उम्र की वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट, बचाती हैं बेजुबान जानवरों की जान

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लखनऊ. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अरुणिमा सिंह अपनी जान जोखिम में डालकर बेजुबान जानवरों को बचाती हैं. वन विभाग भी उनके बिना डॉल्फिन,घड़ियाल,मगरमच्छ और कछुओं के रेस्क्यू ऑपरेशंस पर नहीं जाता. सबसे कम उम्र की वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अरुणिमा से लोकल 18 की टीम ने खास बातचीत की आप भी पढिए अरुणिमा की कहानी उन्हीं की जुबानी.

अरुणिमा सिंह ने बताया कि जब वह लखनऊ यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की पढ़ाई कर रही थीं तब वह कुकरैल घड़ियाल सेंटर पर पहली बार आई थीं.उनके मार्गदर्शक शैलेंद्र सिंह से उनकी यहां पर मुलाकात हुई तो उन्होंने घड़ियाल, डॉल्फिंस, मगरमच्छ और कछुआ की जानकारी दी तब उनकी दिलचस्पी जगी और उन्होंने इसे ही अपना जुनून बनाने का ठान लिया.यहीं पर उन्होंने इन जानवरों से जुड़ी सारी जानकारी हासिल की और उनके सुरक्षित रेस्क्यू ऑपरेशन पर भी जाना शुरू किया तो उन्हें अच्छा लगने लगा.

20 डॉल्फिन और 10 घड़ियाल की बचा चुकी हैं जान
अरुणिमा सिंह ने बताया कि अब तक उन्होंने 10 से ज्यादा घड़ियाल और मगरमच्छ का रेस्क्यू ऑपरेशन किया है.इसके अलावा 20 से ज्यादा डॉल्फिन की जान बचाई है.इतना ही नहीं अरुणिमा ने30 हजार से ज्यादा कछुओं की जान बचा उन्हें सुरक्षित जगहों पर पहुंचा कर एक मिसाल भी कायम कर चुकी हैं.जिसके लिए उन्हें रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंडने उनके कार्यों को देखते हुए‘नेटवेस्ट अर्थ हीरोज’ अवार्ड से सम्मानित भी किया था.

भोपाल का रेस्क्यू ऑपरेशन सबसे खतरनाक था

उन्होंने बताया कि भोपाल का रेस्क्यू ऑपरेशन जो कि घड़ियाल से जुड़ा हुआ था,वह सबसे ज्यादा खतरनाक था क्योंकि वन विभाग की टीम उन घड़ियाल का रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं कर पा रही थी.तब उन्होंने अरुणिमा सिंह की टीम को लखनऊ से बुलाया था.जब अरुणिमा वहां पहुंची तो देखा कि घड़ियाल बहुत बड़े क्षेत्र में फैले हुए थे और उनको वहां से रेस्क्यू करना बहुत ही मुश्किल था. इसके बावजूद उन्होंने अपनी जान पर खेलकर सभी घड़ियाल को रेस्क्यू कर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया.वह आगे बताती हैं कि उनको इस इस फील्ड में आगे अपना करियर बनाना है और बेजुबानों की जान बचाना ही उनकी जिंदगी का असली मकसद बन गया है.

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