6 महीने पहले मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव के राष्ट्रपति की शपथ ली थी। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने ‘इंडिया आउट’ का कैंपेन चलाया था।
भारत के साथ चल रहे तनाव और राजनयिक गतिरोध के बीच गुरुवार (9 मई) को मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर पहली बार भारत दौरे पर आए हैं। नई दिल्ली में मूसा और उनके भारतीय समकक्ष डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात हुई। दोनों दिग्गजों ने इस दौरान द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की।
मूसा ज़मीर के भारत दौरे को कई मायनों में खास माना जा रहा है। 6 महीने पहले मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव के राष्ट्रपति की शपथ ली थी। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने ‘इंडिया आउट’ का कैंपेन चलाया था। मुइज्जू जितने भारत विरोधी हैं, उतने ही चीन के समर्थक भी, हाल ही में मालदीव और चीन के बीच कई अहम समझौते भी हुए हैं। आइए समझते हैं कि चीन की यारी के बीच आखिर मोहम्मद मुइज्जू को भारत की याद क्यों आई? आखिर तनाव के बीच वहां के विदेश मंत्री के भारत दौरे की क्या वजह है?
इंडिया आउट कैंपेन
मोहम्मद मुइज्जू ने बीते साल नवंबर में मालदीव के राष्ट्रपति का पदभार संभाला। उनका रुख हमेशा से भारत विरोधी रहा है। मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ कैंपेन के साथ ही भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़ने को कहा था। इसके लिए 10 मई तक की डेडलाइन दी गई थी। जिसके बाद भारत ने भी अब तक अपने 51 सैनिकों को वापस बुला लिया है। मुइज्जू के भारत विरोधी रुख और उनके फैसलों के खिलाफ भारत में भी बॉलीवुड स्टार्स और सेलेब्स ने मालदीव का बॉयकॉट किया था। जिसके बाद वहां का टूरिज्म बैठ गया, नतीजतन इकोनॉमी में ब्रेक लग गया। लगता है अब मुइज्जू को अपनी गलती का अहसास हो हुआ है।

मालदीव भारत की दूरी मिटाने की कोशिश जारी
दरअसल, मालदीव से विवाद बढ़ने के बाद जहां भारतीयों और सेलेब्स ने मालदीव का बॉयकॉट किया और बुकिंग कैंसिल कर दी वहीं, भारत ने भी मालदीव को सहयोग देना बंद कर दिया, इससे मालदीव की हालत खस्ता होने लगी। रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में मुइज्जू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मालदीव के विकास के लिए खुलकर मदद की अपील की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि मुइज्जू ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने और पुराने सहयोग को फिर से बहाल करने के लिए अपने विदेश मंत्री को नई दिल्ली भेजा है। ताकि तनाव से आई दूरियों को पाटा जा सके।