CAAकानून याने की ‘Citizenship Amendment Act’यह लागु करने की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को की। लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में सीएए लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर यह कानून लागू कर दिया जाएगा। यह अधिनियम पांच साल पहले संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। अब पांच साल बाद यह कानून लागू हो गया है। इस कानून पर काफी वाद विवाद भी हुआ। पर आपको बता दे की 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में सीएए बिल को मंजूरी दे दी गई थी। इस बिल को लोकसभा में भी मंजूरी मिल चुकी है। पर बताया जाता है की इस कानून का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भारत में बसाना यानी उन्हें नागरिकता देना है।
यह नागरिकता संशोधन अधिनियम छह धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए ही लागु होने वाला है। हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी ईसाई और सिखों को नागरिकता प्रदान करना यह ध्येय सामने रखते हुए इस कानून की घोषणा की गई है। पहले भारतीय नागरिकता पाने के लिए व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना जरुरी था पर अब इस कानून के मुताबिक अब 6 साल का समय निर्धारित किया गया है।
अब आपको क्या यह मालूम है की विरोधक इस कायदे को क्यों विरोध कर रहे है ? तो आपको बता दे की इस कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी। इसमें हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख जैसे धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हैं पर इसमें मुस्लिम धर्म को शामिल नहीं किया गया है। और इस वजह से ही विरोधियों द्वारा इस कानून का विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस कानून का कड़ा विरोध किया था। उनका कहना है कि ये कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है।