भाजपा ने पंजाब से इस बार किरण खेर नहीं बल्कि इस प्रत्याशी को दिया टिकट, जाने उनका नाम और प्रोफाइल

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लोकसभा चुनाव 2024 सर पर है ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने अपने प्रत्याशियों के नाम अनाउंस करने पर लगे हुए हैं। इसी क्रम में भाजपा ने अपना एक और प्रत्याशी लिस्ट जारी कर दिया है इस लिस्ट में चंडीगढ़ के प्रत्याशि का भी नाम शामिल है।

इस बार पंजाब से भाजपा की तरफ से किरण खेर को चुनावी टिकट नहीं मिला है बल्कि इस बार नए उम्मीदवार संजय टंडन को प्रत्याशी बनाया गया है। संजय टंडन काफी लंबे समय से पंजाब के राजनीतिक मैदान पर सक्रिय थे उन्हें हर बार चुनावी टिकट मिलने की अटकलें सामने आती रहती थी।

चंडीगढ़ के राजनीति के वरिष्ठ नेता हैं

बात करें संजय टंडन की राजनीतिक बैकग्राउंड की तो उनका जन्म 10 सितंबर 1963 को हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा भी अमृतसर से ही प्राप्त की है। वह जाने-माने राजनीतिज्ञ स्वर्गीय बलराम दास टंडन के बेटे हैं। संजय टंडन काफी लंबे समय तक चंडीगढ़ भाजपा प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे हैं और वह एक वरिष्ठ नेता है।

वह राजनीति के साथ-साथ चार्टर्ड अकाउंटेंट की भी शिक्षा प्राप्त की है वह राजनीति में काफी लंबे समय से सक्रिय रहे हैं उनका लोगों से भी काफी अच्छा संपर्क रहा है जो उन्हें इस चुनाव में फायदा पहुंचा सकता है।

काफी लंबे समय से हो रही थी चुनावी टिकट की मांग

संजय टंडन चंडीगढ़ से प्रत्याशी बनने के लिए पिछले दो लोकसभा चुनाव से टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन हर बार उनकी यह मांग पूरी नहीं होती थी। 2014 में भी उन्हें टिकट देने की बात हुई थी परंतु अभिनेत्री किरण खेर को यह मौका दे दिया गया। इसके बाद 2019 में भी उनकी दावेदारी पक्की लग रही थी परंतु उन्हें इस बार भी टिकट नहीं मिला और सांसद किरण खेर को ही दोबारा मौका दे दिया गया।

कई पुस्तक भी लिखे हैं संजय टंडन ने

संजय टंडन राजनीतिज्ञ और चार्टर्ड अकाउंटेंट के अलावा लेखक भी है उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन भी किया है वह अपनी पत्नी प्रिया एस टंडन के साथ पुस्तकों का लेखन कार्य करते हैं। उनकी एक पुस्तक सनरेज सीरीज से संबंधित है जिसमें सनरेज फोर संडे सनरेज फोर मंडे, सनरेज फोर ट्यूसडे, सनरेज फोर वेडनेसडे, सनरेज फोर थर्सडे ,सन्डेज फोर फ्राइडे और सनरेज फोर सैटरडे शामिल है। उनकी यह सीरीज साईं बाबा की शिक्षाओं पर आधारित है। इस पुस्तक में साइ बाबा की शिक्षाओं पर आधारित कई लघु कथाएं शामिल है। इन पुस्तकों का प्रकाशन कई भाषाओं में किया गया है जैसे कि पहले तीन किताबें हिंदी में प्रकाशित की गई है जबकि दो किताबें तेलुगु में भी प्रकाशित हो चुकी है।

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