हाल के एक घटनाक्रम में, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजीत पवार के गुट को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी फटकार मिली। अदालत ने उन्हें अपने चुनाव अभियान में शरद पवार की छवि का इस्तेमाल करने के खिलाफ निर्देश दिया।
विवाद का आधार
एन. सी. पी. के भीतर दरार, जिसके कारण दो अलग-अलग गुटों का गठन हुआ, वर्तमान विवाद में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। एक गुट का नेतृत्व महाराष्ट्र के वर्तमान उपमुख्यमंत्री अजीत पवार कर रहे हैं और दूसरे गुट का नेतृत्व पार्टी के संस्थापक और अनुभवी राजनेता शरद पवार कर रहे हैं।
इस विवाद की जड़ अजित पवार गुट द्वारा अपने चुनाव अभियान के दौरान शरद पवार की छवि और नाम का उपयोग करना है। शरद पवार गुट ने इस पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि उनके समकक्ष अपने राजनीतिक लाभ के लिए शरद पवार की प्रतिष्ठा को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार के गुट से शरद पवार की छवियों का उपयोग करने की आवश्यकता के बारे में सवाल किया। अदालत ने सलाह दी,
उन्होंने कहा, “आप उनकी (शरद पवार) तस्वीरों का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? यदि आप इतने आश्वस्त हैं, तो अपनी छवियों का उपयोग करें।
उच्चतम न्यायालय की इस टिप्पणी को अजीत पवार के गुट के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा गया है।
अजीत पवार के गुट की प्रतिक्रिया
अजीत पवार के गुट ने यह कहते हुए जवाब दिया कि पार्टी शरद पवार की छवि का इस्तेमाल नहीं कर रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी पार्टी के कुछ सदस्यों ने ऐसा किया होगा, लेकिन पार्टी, संगठनात्मक स्तर पर, इसका समर्थन नहीं करती है। इस गुट के प्रतिनिधियों ने यह भी तर्क दिया कि पार्टी सदस्यों के सभी सोशल मीडिया पोस्ट को नियंत्रित करना संभव नहीं है।
हालांकि, अदालत ने कहा कि अपने सदस्यों को अनुशासित करना पार्टी की जिम्मेदारी है। इसने अजीत पवार के गुट से स्पष्ट, बिना शर्त आश्वासन मांगा कि वे शरद पवार के नाम और तस्वीरों का उपयोग करने से परहेज करेंगे।
चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद
सुनवाई के दौरान, शरद पवार के गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अजीत पवार के गुट द्वारा ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न का उपयोग करने पर आपत्ति जताई। सिंघवी ने तर्क दिया,
घड़ी का प्रतीक ऐतिहासिक रूप से शरद पवार से जुड़ा हुआ है।
अदालत ने सुझाव दिया कि अजीत पवार के गुट को एक अलग प्रतीक का उपयोग करने पर विचार करना चाहिए।
अंतिम फैसले का इंतजार
सुप्रीम कोर्ट को अभी इस मामले में अपना अंतिम फैसला देना है। अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी। इस फैसले का महाराष्ट्र में आगामी चुनावों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
अजीत पवार के गुट द्वारा शरद पवार की छवि के इस्तेमाल से जुड़ा विवाद राकांपा के भीतर गहरे विभाजन को रेखांकित करता है। सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप ने इस आंतरिक पक्ष विवाद को जनता की सुर्खियों में ला दिया है। यह देखा जाना बाकी है कि यह कानूनी लड़ाई आगामी चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन को कैसे प्रभावित करेगी।