सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की इवीएम- वीवीपैठ सत्यापन की तमाम याचिका।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार ( 26 अप्रैल ) को वीवीपैठ के साथ इवीएम डेटा के सत्यापन की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है।

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न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने यह फैसला सुनाया है।
मामले कि सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमारे पास दो फैसले हैं। हमने प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है, हमने सभी याचिकाएं खारिज कर दिया हैं। हमने दो निर्देश दिए हैं, एक निर्देश ये है कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाना चाहिए, एसएलयू को कम से कम 45 दिनों की अवधि के लिए संग्रहित किया जाना चाहिए।

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर अविश्वास करना अनुचित संदेह को जन्म दे सकता है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई और चुनाव आयोग की ओर से स्पष्टता दिए जाने के बाद बुधवार (24 अप्रैल) को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग से कुछ तकनीकी स्पष्टीकरण चाहती थी। दिए गए जवाबों को ध्यान में रखते हुए आज यह आदेश सुनाया गया.

याचिकाएं एनजीओ-एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, अभय भाकचंद छाजेड़ और अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दाखिल की गई थीं। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से प्रार्थना की कि प्रचलित प्रक्रिया के बजाय, सभी वीवीपैट को सत्यापित किया जाए। उन्होंने आगे यह सुनिश्चित करने के लिए मांग की थी कि वोट को ‘डाले गए वोट के रूप में दर्ज किया जाए’ और ‘रिकॉर्ड किए गए वोट के रूप में गिना जाए’।

हालांकि, ईसीआई ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि यह ‘अस्पष्ट और निराधार’ आधार पर ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करने का एक और प्रयास है।

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