राजस्थान में राजे ही आगे, बीजेपी की मजबूरी या कर्नाटक से सबक

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19th June 2023, Mumbai: राजस्थान में 2018 विधानसभा चुनाव हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे सिंधिया को बीजेपी में हाशिए पर धकेलना शुरू हो गया। लेकिन जब से कर्नाटक में बीजेपी को हार मिली है, तब से राजे को राजस्थान के सियासी सूबे में फिर से महत्व दिया जाने लगा है। भाजपा भी आने वाले चुनावी रण में कोई रिस्क नहीं उठाना चाहती। वो भी ऐसे समय में जब विरोधी कांग्रेस पार्टी में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच कलह बनी हुई है। वहीं राजनीति के जानकार राजस्थान में राजे को बीजेपी की मजबूरी भी बता रहे हैं।

राजस्थान में राजे को आगे करने के पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि कर्नाटक में बीजेपी ने स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर पीएम मोदी के चेहरें पर चुनाव लड़ा, जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा और नतीजे बीजेपी के खिलाफ आए। राजस्थान में एक बार फिर से वसुंधरा को सीएम फेस बनाने की पीछे की वजह कर्नाटक चुनाव नतीजों का बड़ा रोल है। कर्नाटक में मजबूत स्थानीय चेहरे येदियुरप्पा को दरकिनार कर बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर दांव खेला, जो भाजपा को भारी पड़ा। माना जा रहा है कि बीजेपी राजस्थान में वसुंधरा राजे को दरकिनार कर कर्नाटक वाली गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहती।

राजे की राजनीति के हाशिए वाले समीकरण को इससे समझ सकते है कि बीजेपी ने उनकी पसंद -नापसंद को नजरअंदाज करते हुए सतीश पुनिया को राजस्थान बीजेपी का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। पुनिया के अध्यक्ष बनने के बाद राजे को दरकिनार किया जाने लगा। राजस्थान में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा मानी जाने वाली वसुंधरा राजे अचानक पार्टी के होर्डिंग-पोस्टर्स से गायब होने लगी थी। कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा संगठन के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी।

इन बातों से राजे की सूबे की राजनीति से पत्ता कटने की अटकलें तेज होने लगी थी। लेकिन इलेक्शन वर्ष में वसुंधरा के वक्त ने एक दम करवट ली है। इसे इससे समझ सकते है कि पहले सतीश पूनिया की छुट्टी हुई और अब बात वसुंधरा को सीएम फेस बनाने की होने लगी है। राजस्थान को लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जो बात कही, वैसी ही बात मध्यप्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मध्यप्रदेश के बारे में कही थी। शाह ने संगठन के चेहरे पर चुनाव लड़ने की बात कही। इसके बाद आए चुनावी नतीजों में भाजपा 15 साल बाद सत्ता से बेदखल हो गई थी।

बीजेपी कर्नाटक की हार से सबक लेते हुए 5 राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में ये गलती नहीं दोहराना चाहती। इसके लिए भाजपा ने राजस्थान में एक बार फिर स्थानीय लीड़र राजे को महत्व देना शुरू कर दिया है, जो पार्टी में अभी तक दरकिनार की राह पर चल रही थी। इस पूरी राजनीति को इस बात से समझ सकते है कि कुछ महीनों पहले हाशिए पर चल रही राजे की सियासत खत्म होने के दावे किए जा रहे थे, ढ़ोल नगाड़े पीटे जा रहे थे। वहीं अब एक बार फिर राजस्थान में राजे को दोबारा तरजीह देना शुरू कर दिया है, और उन्हें अब राजस्थान में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे के रूप में वापसी की भविष्यवाणियां होने लगी है। चुनावी साल में वसुंधरा फ्रंटफुट पर नजर आने लगी है।

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