खुल गया राहुल गांधी की राजनीतिक मुहब्बत की दुकान : जन – विचार by Shyamanand Mishra

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राहुल गांधी की नफरत गोदाम पर मोहब्बत का बोर्ड लगा दुकान खुल गया। भले ही मोहब्बत, दुकान में रखा गया है, परंतु इसका कीमत रुपैया-पैसा में नही हैं। यह मोहब्बत पाने के लिए उन्हें सिर्फ मोदी जी से नफरत का ही मूल्य चुकाना हैं ।

अगले साल लोक सभा चुनाव होना है, ऐसा अवसर बार बार नही आता है। सारे विपक्षी दलों, गठबंधन कर मोदी जी से नफरत का मूल्य चुका, झोली भर-भर राहुल गांधी दुकान से मोहब्बत ले रहा है। राहुल गांधी के मोहब्बत का ही कमाल है की जिस सरकार ने देश में, आपातकाल लगाया, सिख दंगा कराया, घोटाला, भ्रष्टाचार किया, सरकारी एजेंसी को पिंजरे का तोता बनाया, यहां तक कि जिस राजनीतिक दलों ने कांग्रेस की नीति का विरोध कर कांग्रेस से अलग होकर, अलग राजनीतिक दल बनाया, उन सभी पर आज राहुल गांधी की मोहब्बत बरस रही है। जिस दलों ने धर्म के आधार पर देश का बटवारां किया उससे भी राहुल की मुहब्बत है। आतंकवादी से भी राहुल की मुहब्बत है। ऐसी मोहब्बत खरीदने के लिए सारे विपक्षी दल तैयार है, कीमत सिर्फ मोदी से नफरत करने भर की है।

राहुल गांधी के मोहब्बत की दुकान में नफरत की कोई गुंजाइश नहीं है। नफरत की गोदाम तो सिर्फ मोदी जी के लिए रखा गया है। अब राहुल गांधी नफरत गोदाम डिलीवरी का कमाल देखिए, आज तक मोदी सरकर का एक भी ऐसा अच्छा काम राहुल गांधी को नजर नहीं आया की जिस से मोदी को भी राहुल गांधी से मोहब्बत मिलती।

मोदी की निर्णय, कांग्रेस नेता सरदार पटेल की मूर्ति स्थापना पर भी नफरत, स्वदेशी टीका बनने और लगवाने पर भी नफरत, सर्जिकल स्ट्राइक पर नफरत, विदेशो में मोदी एवम भारत के सम्मान मिलने पर नफरत, नया संसद भवन बनना एवम उसके उद्घाटन पर नफरत, सिंगोल पर नंदी का स्वरूप एवम उसके स्थापना पर नफरत, राष्ट्रीय शेर की रूप रेखा से नफरत, तीन सौ सत्तर हटने से नफरत, पत्थर बाजों पर करवाई से नफरत। यहां तक की मोदी शासन में अपने सांसदी से भी नफरत था! इसीलिए तो अपने आप को सांसद बनना दुर्भाग्यपूर्ण बताता था।

आज विदेशों की धरती से अपना सांसद की पद जाने पर खुशी जाहिर करना है। जब वो कभी भी विदेश जाते हैं तो मोहब्बत छोड नफरत की गोदाम साथ के जाते है। इसीलिए तो वहां से मोदी एवं मोदी शासन के साथ भारत के प्रति नफरत के कीड़े भी बाटता है। उसे अपनी हार पर चुनाव आयोग एवं मतदाताओं से नफरत ही नफरत रहता है। उसे चुनाव आयोग बेईमान तो मतदाता अज्ञानी एवं ठगा जाना दिखता है। ऐसा राहुल गांधी मोहब्बत की दुकान की नही, नफरत गोदाम की देन है।

अब देखना है की सारे विपक्षी दल राहुल गांधी मोहब्बत की दुकान में फंसते है या नफरत वाली गोदाम का भेद खुल गया, खुल गया – खुल गया पर विश्वास करते है।

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