जानिए स्वास्थ्य के लिए कत्था या कत्था के फायदे!

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2nd April, 2023 Mumbai: क्या आपने कभी पान खाया है? अगर खाया होगा तो कत्थे से तो आप ठीक तरीके से परिचित होंगे, क्यों कि पान खाना तभी मुमकिन है जब इसमें कत्था मौजूद हो,कत्था पान का मुख्य इंग्रीडिएंट्स है.ये पान खाते वक्त होंठ लाल कर देता है.इससे स्वाद भी बढ़िया आता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे सेहत को कितने फायदे मिलते हैं.कत्थे को शरीर के लिए कुछ मायनों में गुणकारी माना गया है.अगर सीमित मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाए तो ये कुछ बीमारियों से बचाव कर सकता है.वनसपति विज्ञान में इसको खास तरजीह दी गई है.आइए जानते हैं कत्थे से होने वाले फायदे के बारे में

कत्था के फायदे
  • गले की खराश दूर करने के लिए कत्थे का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए कत्था को गर्म पानी में मिक्स करें या फिर कथा पाउडर को चूसने से भी गले की खराश दूर हो सकती है
  • कत्था में एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं. ये फंगल संक्रमण को रोकने में मदद करता है.साथ ही ये त्वचा के कई प्रकार की एलर्जी या पिगमेंटेशन के इलाज में भी कारगर है
  • अगर आपका पेट खराब है और आप डायरिया से पीड़ित हो गए हैं तो भी कत्थे का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है. कत्थे को पकाकर या पानी में उबालकर लेने से दस्त में राहत मिलती है. यह पाचन संबंधी समस्याओं में फायदा पहुंचाता है.
  • कई बार मुंह के छाले काफी दर्दनाक हो जाते हैं.ऐसे में आप कत्थे का सेवन कर सकते हैं. यानी कि आप पान में कत्था लगाकर खाएंगे तो इससे छाले आसानी से दूर हो सकते हैं.
  • मसूड़े में सूजन या दांत में दर्द होने पर भी आप का कत्थे का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए कत्थे को मंजन में मिलाकर दांत और मसूड़ों को नियमित रूप से साफ करें. इससे आपकी समस्या आसानी से दूर हो जाएगी. आपको कत्थे का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करना है बल्कि एक चुटकी ही मंजन में मिक्स करना है.
  • मलेरिया बुखार और ठीक करने के लिए भी आप कत्थे का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह एक औषधि की तरह काम करता है. इसकी गोली बनाकर समय-समय पर चूसने से मलेरिया से बचाव किया जा सकता है
  • चोट या घाव पर भी कत्थे को बारीक पीसकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है और खून का निकलना भी बंद हो जाता है
कैसे बनता है कत्था

कत्था बनाने के लिए खैर के पेड़ का इस्तेमाल किया जाता है, इसे बनाने के लिए खैर के पेड़ का तना काटकर उसकी लकड़ी को पतला पतला काटा जाता है. इन कटी हुई लकड़ियों को उबाला जाता है. इन्हें करीब 3 से 4 घंटे तक उबालने के बाद इस पानी से जो अर्क निकलता है उसे मलमल के कपड़े से फिल्टर किया जाता है, फिर इसे खुले बर्तन में डालकर तब तक के लिए रखा जाता है जब तक ये क्रिस्टलाइज ना हो जाए.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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