जातिवाद – जिंदाबाद

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एक समय ऐसा था जब जाति-वाद को जहर माना जाता था। जिसे सरकार ने शिक्षा के स्तर से बहुत हद तक समाप्त कर दिया था। गांव से शहर तक जाति एवं छुआछूत का भेद मिट गया था। जिसे फिर से राहुल गांधी जाति जाति में भेद कर गणना का काम शुरू करवाना चाहते है। जिससे गरीबों का कल्याण नहीं वोट बैंक का खोज करना उनका उद्देश्य है। कबीर बाबा ने कहा था जाति ने पूछो साधु से पूछे उनका ज्ञान। परंतु राहुल गांधी सभी संस्था सभी कमेटी न्यायाधीश आदि में घूम-घूम कर उनका ज्ञान नहीं जाति पूछ रहे है। उनके हिस्सेदारी की बातें कर रहे है। राहुल गांधी चाहते है कि जिस तरह मैं पप्पू बन गया हूं उसी तरह देश भी अशिक्षित होकर पप्पू बन जाए। देश चलाने के लिए योग्यता चाहिए जाति नहीं। जाति को योग्य बनावे फिर जात-पात पूछन कोई हरि के भजे सो हरि के होयी। यानी पिछड़ी जाति को योग्य बनाकर देश चलाने योग्य बनाना है।

एक जमाने में कांग्रेस भी कहता था जात पर न पात पर मोहर लगाओ कांग्रेस के छाप पर। और आज राहुल का कांग्रेस है जो कहता है की जाति गणना कराओ वोट बैंक को अपनाओ। आज सम्मान देने की बात हो या पीड़ितों की आवाज उठाने की बातें सभी बातों में जाति की वोट बैंक के अनुसार ही बातें होती हैं। उदाहरण आज बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अत्याचार पर आवाज उठाने से भी डरता है।

भारत स्वतंत्रता से पहले जमींदार प्रधान देश था। आजादी के बाद कृषि प्रधान देश बना। अभी नेता प्रधान देश बन गया है। जिसे राहुल गांधी उसे जाति प्रधान देश का पहचान दिलाना चाह रहे है। राहुल गांधी की माने तो देश को योग्यता प्रमाण पत्र की नहीं उन्हें वोट बैंक वाले जाति प्रमाण पत्र से देश चलाना चाहिए। इसीलिए तो राहुल गांधी जातिवाद जिंदाबाद का आवाज बुलंद कर दिये है।

राहुल गांधी की सोच एक दिन ऐसा समय ला देगा जब राहुल गांधी को अपने जाति का पहचान वोट बैंक वाले जाति-वाद की श्रेणी का प्रमाण देने पर मजबूर कर देगा। तब जाकर सत्ता का सपना देखने का इजाजत होगा। तब तक देश कहां खड़ा रहेगा, उसका जिम्मेदार राहुल गांधी को ही माना जाएगा।

जाति का बीज यहां समाज ने डाला है भगवान तो मात्र एक इंसान बनाकर भेजता है जिसे नेता धर्म जाति में बांटकर अपना हित साधता है।

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