आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड ने संकटग्रस्त पाकिस्तान के लिए 3 अरब डॉलर के स्टैंड बाय बेलआउट को मंजूरी दी

IMF: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बुधवार (12 जुलाई) को पाकिस्तान के लिए 3 अरब डॉलर के कर्ज को मंजूरी दे दी. 29 जून को आईएमएफ और पाकिस्तान एक स्टैंड-बाई व्यवस्था पर पहुंचे थे.

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Highlights
  • संकट से घिरे पाकिस्तान को IMF से मिली राहत
  • पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ये बोले
  • 29 जून को स्टैंड-बाई व्यवस्था पर पहुंचे थे पाकिस्तान और आईएमएफ

13th July 2023, Mumbai: आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने बड़ी राहत दी है. आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए 3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है. आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड ने बुधवार (12 जुलाई) को पाकिस्तान के लिए 3 अरब डॉलर की स्टैंड-बाई व्यवस्था को मंजूरी दी. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, आईएमएफ ने कहा है कि वह दक्षिण एशियाई देश (पाकिस्तान) की मदद के लिए तुरंत लगभग 1.2 बिलियन डॉलर का वितरण करेगा.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ये बोले

बुधवार रात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी उनके देश को मिले कर्ज के बारे में ट्वीट कर पुष्टि की. शहबाज शरीफ ने ट्वीट में लिखा, ”आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड की ओर से 3 अरब डॉलर के स्टैंड-बाई करार को कुछ देर पहले मिली मंजूरी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता हासिल करने के सरकार के प्रयासों में एक बड़ा कदम है.”

उन्होंने आगे लिखा, ”यह तात्कालिक से मध्यम अवधि की आर्थिक चुनौतियों से उबरने के लिए पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है जिससे अगली सरकार को आगे का रास्ता तय करने के लिए वित्तीय गुंजाइश मिलती है.”

29 जून को स्टैंड-बाई व्यवस्था पर पहुंचे थे पाकिस्तान और आईएमएफ

पाकिस्तानी अखबार डॉन की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 29 जून को आईएमएफ और पाकिस्तान देश के वित्तीय संकट को कम करने के लिए एक स्टैंड-बाई व्यवस्था पर पहुंचे थे. रिपोर्ट में आईएमएफ के बयान के हवाले बताया गया कि अथॉरिटीज इकोनॉमिक स्टैबलाइजेशन प्रोग्राम का समर्थन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान के लिए 9 महीने की स्टैंड-बाई व्यवस्था को मंजूरी दे दी.

बयान में कहा गया है कि यह व्यवस्था पाकिस्तान के लिए एक चुनौतीपूर्ण आर्थिक मोड़ पर आई है. कठिन बाहरी वातावरण, विनाशकारी बाढ़ और नीतिगत गलत कदमों के कारण बड़े पैमाने पर राजकोषीय और बाहरी घाटा हुआ है, जिसके चलते मुद्रास्फीति बढ़ गई और वित्त वर्ष 23 में आरक्षित बफर्स में कमी आई है.

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