गीता ज्ञान यही है पुनर्जन्म का कारण, जानिए गीता के अनमोल उपदेश

गीता के विचार जीवन के लिए अनमोल हैं. इनका अनुसरण करने से व्यक्ति के अंदर से क्रोध और ईर्ष्या की भावना खत्म होती है. आइए जानते हैं गीता में श्रीकृष्ण के दिए गए अनमोल उपदेशों के बारे में.

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Highlights
  • गीता की अनमोल बातें
  • श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है
  • गीता में दिए उपदेश आज भी मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाते है

27th June 2023, Mumbai: श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है. गीता के ये उपदेश श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिए थे. गीता में दिए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और मनुष्य को  जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं. गीता की बातों को जीवन में अपनाने से व्यक्ति को खूब तरक्की मिलती है. 

श्रीमद्भागवत गीता की बातों को अपनाने से जीवन संवर जाता है. इन बातों का अनुसरण करने से व्यक्ति के अंदर से क्रोध और ईर्ष्या की भावना खत्म होती है. आइए जानते हैं गीता में श्रीकृष्ण के दिए गए अनमोल उपदेशों के बारे में.

गीता की अनमोल बातें

    • गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि हर मनुष्य की मोक्ष की कामना करता है लेकिन अपनी वासनाओं की वजह से पुनर्जन्म होता है और वो फिर से जन्म-मृत्यु के चक्र में फंस जाता है. कृष्ण कहते हैं कि अगर मनुष्य अपनी इंद्रियों को अधीन में कर ले तो उसके जीवन में कभी विकार और परेशानियां नहीं आती हैं.
    • गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि भोग से मिलने वाला सुख क्षणिक होता है जबकि स्थायी आनंद त्याग में मिलता है. श्रीकृष्ण कहते हैं कि सत्संग ईश्वर की कृपा से मिलता है परंतु कुसंगति में भी मनुष्य अपने कर्मों से पड़ता है. संयम, सदाचार, स्नेह और सेवा जैसे गुण मनुष्य में कभी भी सत्संग के बिना नहीं आते हैं.
    • गीता में कहा गया है कि हर मनुष्य को अपने विचारों पर ध्यान देना चाहिए. मनुष्य को वस्त्र बदलने की जगह हृदय परिवर्तन पर केंद्रित करना चाहिए. गीता के अनुसार जवानी में जिसने ज्यादा पाप किए हैं उसे बुढ़ापे में आकर उतना ही भोगना पड़ता है.
    • श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार आनंद हमेशा मनुष्य के भीतर ही होता है परंतु मनुष्य उसे बाहरी सुखों में ढूंढता है. भगवान की उपासना केवल शरीर से ही नहीं बल्कि पूरे मन से करनी चाहिए. भगवान का वंदन उन्हें प्रेम-बंधन में बांधता है.
    • श्रीकृष्ण के अनुसार हर मनुष्य को स्वयं को ईश्वर में लीन कर देना चाहिए क्योंकि उसके सिवाय मनुष्य का कोई नहीं होता है. गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि अहिंसा परम धर्म है परन्तु धर्म के लिए कि गई हिंसा यथावत धर्म है.
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