क्या कोविशील्‍ड वैक्सीन लगवाने वालों मे बढ़ रहा है खतरा?

कोरोना महामारी में भारत में 90 फीसदी से ज्‍यादा लोगों को लगाई गई कोविशील्‍ड वैक्‍सीन सवालों के घेरे में आ गई है।

Attention India
Attention India
4 Min Read

कोरोना महामारी में भारत में 90 फीसदी से ज्‍यादा लोगों को लगाई गई कोविशील्‍ड वैक्‍सीन सवालों के घेरे में आ गई है। इसे बनाने वाली कंपनी एस्‍ट्रेजेनेका ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में इसके खराब साइड इफैक्‍ट ब्‍लड क्‍लोटिंग (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम) की बात कुबूली है

कोरोना महामारी में भारत में 90 फीसदी से ज्‍यादा लोगों को लगाई गई कोविशील्‍ड वैक्‍सीन सवालों के घेरे में आ गई है। इसे बनाने वाली कंपनी एस्‍ट्रेजेनेका ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में इसके खराब साइड इफैक्‍ट ब्‍लड क्‍लोटिंग (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम) की बात कुबूली है, जिससे दुनियाभर में इस वैक्‍सीन को लगवाने वाले लोगों में डर पैदा हो गया है। भारत में न केवल इस वैक्‍सीन पर तमाम सवाल उठ रहे हैं बल्कि इसे बनाने वाली भारतीय कंपनी सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया भी कटघरे में है। हालांकि इस वैक्‍सीन को लगे 3 साल से ज्‍यादा का समय हो गया है, ऐसे में भारतीय लोगों में इस वैक्‍सीन का कितना खतरा है, इसे लेकर दिल्‍ली के टॉप कार्डियोलॉजिस्‍ट और वायरोलॉजिस्‍ट ने अपनी राय दी है।

कोविशील्‍ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स?

Dr ने बताया की, इस वैक्‍सीन के लगने के बाद कुछ लोगों में ब्‍लड क्‍लोटिंग देखी गई, जिसका एक असर हार्ट अटैक भी होता है। हालांकि हमको ये भी देखना होगा कि उस महामारी के दौरान जब कोविड को लेकर कोई विकल्‍प ही नहीं था और आपातकाल में जनसंख्‍या को सुरक्षित करना था तो उसके अच्‍छे-बुरे को देखें तो जितने लोग वैक्‍सीनेटेड हुए हैं और जितनों को इससे साइड इफैक्‍ट हुआ है, उसमें जमीन और आसमान का अंतर है। एस्‍ट्रेजेनेका के डेटा के अनुसार उस लिहाज से लाइफ थ्रेटनिंग थ्राम्‍बोसिस वाले मरीजों की संख्‍या बहुत कम है।

90 फ़ीसदी लोगों में है जान का खतरा?

जब शुरुआत में ये वैक्‍सीन लगवाई जा रही थी तो भी ऐसे कई सवाल उठे थे और कहा गया था कि कोवैक्‍सीन सुरक्षित है और कोविशील्‍ड के नुकसान हो सकते हैं। ऐसा इसलिए भी कहा गया था कि यह एडिनोवायरस बेस्‍ड वैक्‍सीन थी, जो बायोटेक्‍नोलॉजी का नया टर्म है। इसके अलावा अन्‍य कई विदेशी वैक्‍सीनों को लेकर भी सवाल उठे थे। डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी उस समय बोला था कि कुछ मामले थ्रोम्‍बोसिस के आ रहे थे। लेकिन लिटरेचर पढ़ेंगे तो देखेंगे कि इस तरह के साइड इफैक्‍ट्स शुरुआत में ही दिखाई देते हैं। ये वैक्‍सीन लगने के 4 से 6 हफ्तों के बीच ही सामने आते हैं। अब जबकि वैक्‍सीन लगे इतने साल हो गए हैं तो भारत में इसका खतरा नहीं है। बाकी अपवाद किसी भी दवा में हो सकता है।

कोविशील्‍ड वैक्सीन कितना खतरनाक है?

हमें यह देखना चाहिए कि किसी दवा का फायदा ज्‍यादा है और उसके साइड इफैक्‍ट्स कम हैं तो उसका कॉस्‍ट बेनिफिट एनालिसिस और ओवरऑल एनालिसिस क्‍या है। मुझे लगता है कि इस वैक्‍सीन के साथ भी यही है कि इससे फायदा ज्‍यादा हुआ होगा न कि नुकसान। यह इमरजेंसी इस्‍तेमाल के लिए वैक्‍सीन थी, जिसने कोविड से लोगों को बचाने में मदद की।

Share This Article