प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ़ जारी ब्लू कॉर्नर नोटिस, यौन शोषण के लगें हैं आरोप

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यौन अपराधों के आरोपी कर्नाटक के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर जानकारी जुटाने के लिए ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया किया। आरोपी के बारे में कहा जा रहा है कि वे डिप्लोमेटिक पासपोर्ट की मदद से जर्मनी जा चुके।

यौन अपराधों के आरोपी कर्नाटक के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर जानकारी जुटाने के लिए ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया किया। आरोपी के बारे में कहा जा रहा है कि वे डिप्लोमेटिक पासपोर्ट की मदद से जर्मनी जा चुके। लोकसभा चुनाव के ऐन बीच में इस खुलासे से कर्नाटक की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। हालांकि माना जा रहा है कि ब्लू कॉर्नर नोटिस के बाद आरोपी की जल्द देश वापसी हो सकेगी और जांच शुरू होगी।

क्या है ब्लू कॉर्नर नोटिस?

आरोपी हफ्तेभर से ज्यादा समय से देश से बाहर है. अब ब्लू कॉर्नर नोटिस के साथ ही ये संभावना बढ़ जाएगी कि जल्द से जल्द इस बात का पता लग सके कि वो कहां हैं। ब्लू कॉर्नर नोटिस निकलने पर खुद दूसरे देशों की पुलिस आरोपी को खोजने में मदद करेगी। इंटरपोल यानी इंटरनेशनल पुलिस की वेबसाइट में लिखा है कि ब्लू कॉर्नर किसी क्राइम से जुड़े शख्स के बारे में पता करने का काम करता है।

नोटिस निकलने पर इंटरपोल के सदस्य देश चेक करते हैं कि दूसरे देश का आरोपी कहीं उनके यहां तो ठिकाना नहीं बना चुका। सीबीआई में इसे बी सीरीज नोटिस कहा गया है। ये एक तरह का इंक्वायरी नोटिस है, जो किसी की पहचान, उसके क्रिमिनल रिकॉर्ड और उसकी खोजबीन से जुड़ा है। मसलन, जनवरी 2020 में भगौड़े नित्यानंद की खोज में इंटरपोल ने ब्लू कॉर्नर नोटिस निकाला था। ये नोटिस गुजरात पुलिस की रिक्वेस्ट पर जारी हुआ था।

इंटरनेशनल रिक्वेस्ट की है प्रक्रिया

ये एक तरह की इंटरनेशनल रिक्वेस्ट है, जो किसी क्राइम से जुड़ी जानकारी के लिए निकलती है। इसमें सदस्य देश आपस में मदद करते हैं ताकि आरोपी या दोषी कहां है, ये पता लग सके, और उसे उस देश के सुपुर्द किया जा सके, जहां से वो है, या जहां उसने क्राइम किया हो। सदस्य देश के इंटरपोल राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो की रिक्वेस्ट पर सचिवालय नोटिस जारी करता है, जो डेटाबेस के जरिए सभी सदस्य देशों तक पहुंच जाता है।

इसके अलावा इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट भी किसी अपराधी की धरपकड़ के लिए नोटिस निकलवा सकते हैं। ये क्रिमिनल नरसंहार, युद्ध अपराध या इसी तरह के बड़े अपराधों से जुड़े होते हैं। वैसे तो ये नोटिस पुलिस के काम के होते हैं और ज्यादातर कॉन्फिडेंशियल रखे जाते हैं लेकिन अगर सदस्य देश चाहे तो इसे पब्लिक के हित में सार्वजनिक भी कर सकता है। जैसे यूनाइटेड नेशन्स के सारे नोटिस पब्लिक में रखे जाते हैं ताकि लोग चौकन्ना रहें।

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