भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाल ही में भारत के शहरी युवाओं से जुड़ने के अपने तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। पार्टी की पहले की लोकप्रिय ‘चाय पे चर्चा’ पहल अब अधिक समकालीन ‘कॉफी विद यूथ’ अभियान के लिए रास्ता बना रही है। इस कदम को पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं और विशेष रूप से महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवा दर्शकों से जुड़ने के लिए एक रणनीतिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
रणनीति में एक सूक्ष्म बदलाव भाजपा हमेशा से अपने अभिनव और आकर्षक आउटरीच कार्यक्रमों के लिए जानी जाती है। 2014 के चुनावों से पहले शुरू किया गया ‘चाय पे चर्चा’ अभियान एक बड़ी सफलता थी। यह एक अनूठी डिजिटल आउटरीच पहल थी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ 1000 चाय की दुकानों पर चर्चा की थी।
हालांकि, पार्टी ने अब इस पारंपरिक चाय-आधारित चर्चा को अधिक आधुनिक ‘कॉफी विद यूथ’ अभियान से बदलने का फैसला किया है। इस बदलाव का उद्देश्य शहरी युवाओं के साथ अधिक जुड़ना है, जिन्हें आगामी लोकसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक के रूप में देखा जाता है।
‘कॉफी विद यूथ’ पहल
कॉफी विद यूथ’कॉफी विद यूथ’ सत्र को अनौपचारिक और आरामदेह बनाने की योजना बनाई गई है, जो बगीचों और कैफे में आयोजित किए जाएंगे। चर्चाएँ पार्टी के ‘2047 के लिए विजन’ के इर्द-गिर्द घूमेंगी, जो युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं को भुनाने का प्रयास करेगी।
इन सत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि से सजे मग भी होंगे, जो इस कार्यक्रम में पार्टी की ब्रांडिंग को सूक्ष्मता से एकीकृत करेंगे। अनौपचारिक सेटिंग और तेजी से लोकप्रिय हो रहे पेय पदार्थ के उपयोग को शहरी युवाओं के साथ बेहतर तरीके से जुड़ने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जाता है।
भारतीय युवा मोर्चा की भूमिका
भाजपा की युवा शाखा, भारतीय युवा मोर्चा, ‘कॉफी विद यूथ’ सत्रों के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्हें उद्यमियों, कलाकारों आदि जैसे विभिन्न पृष्ठभूमियों से 150-200 युवाओं के समूहों के साथ बैठकें आयोजित करने का काम सौंपा गया है।
इन बैठकों में वक्ता पार्टी के रुख को स्पष्ट करेंगे, दर्शकों से बातचीत करेंगे और उनके प्रश्नों का उत्तर देंगे। इस अंतरंग बातचीत से पार्टी और युवाओं के बीच सकारात्मक प्रभाव और मजबूत संबंध बनने की उम्मीद है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव
शहरी-केंद्रित ‘कॉफी विद यूथ’ के अलावा, भाजपा ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसी तरह की बैठकें आयोजित करने की योजना बना रही है। हालांकि, ‘नमो चौपाल’ नामक इन बैठकों में कॉफी नहीं परोसी जाएगी। ‘चौपाल’ शब्द पारंपरिक रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्थान से जुड़ा हुआ है, और पार्टी का लक्ष्य अपने आउटरीच के लिए इस पारंपरिक सेटिंग का लाभ उठाना है।
‘नमो संवाद’: एक बड़ा आउटरीच
‘कॉफी विद यूथ’ और ‘नमो चौपाल’ पहल के समानांतर, पार्टी अपने शक्ति केंद्रों पर ‘नमो संवाद’ बैठकें आयोजित करने की भी योजना बना रही है। प्रत्येक केंद्र पांच से छह मतदान केंद्रों के मतदाताओं को लक्षित करता है, जो लगभग 6000 वोटों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पार्टी इन मतदाताओं को सुविधाजनक स्थान पर खुली बातचीत के लिए बुलाने की योजना बना रही है। राज्य भर में 21,000 शक्ति केंद्रों के साथ, वे हर दिन 7-8 बैठकें आयोजित करने की उम्मीद कर रहे हैं। इस व्यापक और व्यक्तिगत आउटरीच से बड़ी संख्या में मतदाताओं तक पहुँचने की उम्मीद है, जिससे आगामी चुनावों में सकारात्मक परिणाम की संभावना बढ़ जाएगी।
–Daisy