2024 की हज यात्रा अगले महीने से शुरू होने वाली है। हज यत्रियों का सऊदी अरब पहुंचना शुरू हो गया है। हर साल की तरह इस साल भी दुनिया भर से लाखों मुसलमान हज यात्रा के लिए सऊदी पहुंचेंगे। लेकिन 1979 की इसी पवित्र यात्रा के ठीक बाद एक हमला ऐसा भी हुआ था
2024 की हज यात्रा अगले महीने से शुरू होने वाली है। हज यत्रियों का सऊदी अरब पहुंचना शुरू हो गया है। हर साल की तरह इस साल भी दुनिया भर से लाखों मुसलमान हज यात्रा के लिए सऊदी पहुंचेंगे। लेकिन 1979 की इसी पवित्र यात्रा के ठीक बाद एक हमला ऐसा भी हुआ था जिसने पूरे इस्लाम जगत को हिला कर रख दिया था। विश्व का इतिहास कई खतरनाक आतंकवादी हमलों से भरा हुआ है।
लेकिन जब हमला करने वाले अपने आपको खुदा का भेजा हुआ मसीहा बताएं या दुनिया से बुराई मिटाने वाला बताएं तो क्या हो? कुछ ऐसा ही हुआ था 20 नवंबर 1979 में, जब सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का की मस्जिद अल-हरम में करीब 200 हमलावर घुस गए थे और हजारों नमाजियों को बंधक बना लिया था। ये हमला सऊदी के आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा हमला माना जाता है। ये हमला इतना बड़ा था कि सऊदी सेना को इससे निपटने के लिए दो देशों की सेना का सहारा लेना पड़ा और मस्जिद को हमलावरों से आजाद कराने में दो हफ्तों का समय लगा। इस हमले में नुकसान की बात करें तो सऊदी और कई अन्य देशों के नागरिकों समेत 800 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
कैसे हुआ था हमला?
ग्रेगोरियन कैलेंडर की 20 नवंबर 1979 तारीख को इस्लामिक कैलेंडर के साल 1400 की शुरुआत थी. सऊदी के पवित्र शहर मक्का में दो हफ्ते पहले ही हज यात्रा पूरी हुई थी और यहां दुनियाभर से लाखों मुसलमान आए हुए थे। मक्का की मस्जिद अल-हरम में सुबह की नमाज (फज्र) के वक्त (5 बजकर 15 मिनट) पर लोग नमाज अदा करके बैठे ही थे कि सफेद कपड़े पहने हथियारों से लैस हमलावरों ने नमाजियों को घेर लिया। ये पहले से ही मस्जिद में मौजूद थे और उनके हथियार वहीं ताबूतों में रखे हुए थे। इनमें से एक हमलावर जिसका नाम जुहेमान अल ओतायबी था, वो अपने कुछ लोगों के साथ इमाम (नमाज पढ़ाने वाले धर्मगुरु) की तरफ बढ़ा और माइक लेकर अपने लोगों को पोजीशन लेने के निर्देश देने लगा।
कौन हैं इमाम महदी?
मस्जिद पर कब्जा कर आतंकियों ने मोहम्मद अबदुल्ला अल कहतानी नाम के आतंकी को इमाम महदी बताया था। जिसके बाद वहां मौजूद कुछ नमाजियों ने अल्लाह हू अकबर के नारे के साथ उसका स्वागत करना शुरू कर दिया था। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, इमाम महदी कयामत आने से पहले दुनिया में लौटेंगे और पूरी दुनिया में इंसाफ की हुकूमत कायम कर इस्लाम का राज स्थापित करेंगे।
खबर मिलते ही सऊदी में मच गया था हड़कंप अफरी तफरी की खबर लगते ही मस्जिद परिसर में तैनात पुलिसकर्मी वहां पहुंच गए थे। जिस मस्जिद पर हमला हुआ था, वहीं इस्लाम का पवित्र स्थल काबा भी मौजूद है, जिसकी वजह से यहां तैनात पुलिसकर्मी हथियार नहीं रखते हैं। निहत्थे पुलिसकर्मी हथियारबंद हमलावरों से झड़प में मारे गए। उस वक्त मस्जिद में करीब 1 लाख लोग मौजूद थे और ये सब बंधक बनाए जा चुके थे।
कैसे घुसे थे हमलावर?
इस हमले से पहले हमलावरों ने लंबी तैयारी की थी. हमलावर ट्रकों से आए थे, उन्होंने पहले ही मस्जिद में बड़ी तादाद में हथियार और खाने पीने की रसद पहुंचा दी थी। हमले के बाद एजेंसियों ने खुलासा किया कि मस्जिद में हथियार ताबूतों के अंदर रखकर भेजे गए थे। बंधकों में सऊदी अरब के अलावा दूसरे देशों के भी लोग थे। कुछ खबरों के मुताबिक हमलावरों ने दूसरे देशों के बंधंकों को मस्जिद के बाहर जाने दिया, लेकिन सऊदी निवासियों को ऐसी कोई रियायत नहीं दी।
कैसे शुरू हुआ मस्जिद को आजाद कराने का ऑपरेशन?
इस ऑपरेशन में एक दिक्कत ये थी कि मस्जिद में कोई बड़ा सैन्य हमला नहीं किया जा सकता था, क्योंकि ये मस्जिद इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है और काबा भी यहीं मौजूद है। सऊदी सेना ने धर्मगुरुओं से सैन्य ऑपरेशन शुरू करने की इजाजत मांगी। इजाजत के बाद सऊदी सेना की टुकड़ियां मस्जिद परिसर की ओर बढ़नी शुरू हुई लेकिन हमलवरों के हथियारों से लैस होने और परिसर में सीमित कार्रवाई कर सकने के चलते सऊदी सेना को इसमें कामयाबी नहीं मिली क्या पाकिस्तान फौज ने कराया मक्का आजाद?
इस हमले के प्रसारण पर सऊदी सरकार ने बैन लगा दिया जिसके बाद किसी को अपनों की कोई खबर नहीं मिल पा रही थी। मस्जिद में सऊदी समेत कई अन्य देशों के नागरिकों को बंधक बनाया गया था। सऊदी सरकार ने सैन्य मदद के लिए पाकिस्तान और फ्रांस से मदद मांगी जिसके बाद पाकिस्तान और फ्रांस की कमांडो टीम को सऊदी अरब रवाना किया गया। पाकिस्तान की सैन्य टुकड़ी का नाम रहबर था, कुछ खबरों ने दावा किया है कि इसका नेतृत्व मेजर परवेज मुशर्रफ कर रहे थे, जो बाद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी बने। लेकिन AFP जैसे अतंरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसियों ने इसको गलत खबर बताया है।
कैसे हुई मस्जिद आजाद?
विदेशी मदद मिलने के बाद सऊदी सेना की स्थिति मजबूत हो गई। कई दिनों से चल रहे ऑपरेशन के बाद मस्जिद के थोड़े हिस्से पर सऊदी सेना और थोड़े पर हमलावरों का कब्जा रह गया। कुछ हमलावरों ने मस्जिद के अंडरग्राउंड एरिया में पनाह ली। सेना ने हमलावरों को बाहर निकालने के लिए स्मोक बम फेंके जिससे सांस लेने में दिक्कत आने लगी और हमलावरों ने सरेंडर कर दिया। 14 दिनों तक चले इस ऑपरेशन के बाद करीब 137 हमलावरों को मार गिराया गया और 63 को गिरफ्तार कर लिया गया।