अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब जनता ने मुझको पहली बार मुख्यमंत्री बनाया, तो उसूलों के ऊपर 49 दिनों के अंदर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट से 10 मई को अंतरिम जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल आज कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे। वहां से वापस आने के बाद AAP हेडक्वार्टर से केजरीवाल ने जनता को संबोधित किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जब मैं जेल के अंदर था, तो कुछ लोगों ने यह मुद्दा उठाया कि केजरीवाल सीएम पद से इस्तीफा क्यों नहीं देता। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को कभी किसी पद का लालच नहीं हुआ। मैं यहां मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने नहीं आया। इनकम टैक्स में कमिश्नर की नौकरी करता था। उसको छोड़कर दिल्ली की झुग्गियों के अंदर दस साल तक काम किया।
सीएम पद पर कोई दिलचस्पी नहीं
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब जनता ने मुझको पहली बार मुख्यमंत्री बनाया, तो उसूलों के ऊपर 49 दिनों के अंदर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। सीएम बनने के लिए लोग अपना दाहिना हाथ कटवाने को तैयार होता हैं, मेरे लिए सीएम पद महत्वपूर्ण नहीं है। आज मैंने जेल जाने के बाद भी सीएम पद से इस्तीफा क्यों नहीं दिया क्योंकि पिछले 75 साल से भारत में दिल्ली के अंदर सबसे ऐतिहासिक बहुमत आम आदमी पार्टी जीती।

इतने भारी बहुमत से किसी भी राज्य की सरकार बनी। केजरीवाल ने आगे कहा कि उनको (बीजेपी) पता है कि वो हमें दिल्ली के अंदर हरा नहीं सकते, इसलिए उन्होंने इतना भारी बहुमत से जीतने के बावजूद झूठा षडयंत्र रचा कि केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ेगा और सरकार गिर जाएगी। मैंने कहा मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। तुम अगर जनतंत्र को जेल में कैद करोगे, तो सरकार जेल से चलाकर दिखाएंगे, तुम्हारे ट्रैप में फंसने वाले नहीं हैं।
हेमंत सोरेन को इस्तीफा नहीं देना चाहिए था
सीएम केजरीवाल ने कहा कि हेमंत सोरेन को भी इस्तीफा नहीं देना चाहिए था, जेल से सरकार चलानी चाहिए थी। ऐसे तो ये जिस राज्य में चुनाव हारेंगे, वहां के मुख्यमंत्री को उठाकर जेल में डाल देंगे और सरकार गिरा देंगे। आज मैं अगर दिल्ली की जेल से इस्तीफा नहीं दे रहा, तो इस तानाशाही के खिलाफ संघर्ष कर रहा हूं। मुझे किसी पद का लालच नहीं है, सीएम की 100 कुर्सी देश के नाम कुर्बान है।