भारतीय लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ गुप्त मतदान होता है। इस गुप्त मतदान का उपहास करने वालो के मुंह पर करारा तमाचा मारा है इस बार का लोकतंत्र। जब वोटर्स अपने मत का दान गुप्त करता है। तो उसे उजागर करने का अधिकार किसी को नहीं रहता है। लेकिन कुछ समय से मीडिया कर्मियों ने गुप्त मतदान को उजागर कर एग्जिट पोल यानी भविष्यवाणी करके अपने चैनल पर हार जीत का दावा करता है। ऐसे भविष्यवक्ता चैनल वालों के मुंह पर करारा तमाचा मारा है इस बार का चुनाव परिणाम।
इस बार का मतदान ईवीएम मैं गड़बड़ी, मतदाता बेईमान,मतदाता ठगा जाना, मूर्ख बनना आदि आरोपो से बच गया है। क्योंकि विपक्षियो दलों को पहले से ज्यादा सिटे मिली है। इससे तो अब स्पष्ट हो गया है कि भारत के लोकतंत्र बेईमान नहीं है। इस देश के मतदाता ने स्पष्ट करके विपक्षी नेताओं के मुंह पर करारा तमाचा मारा है।
इस बार का चुनाव भाजपा का अहंकार तोड़ा है। उसे अहंकार हो गया था कि मैं ही एक राष्ट्रभक्त, सनातनी, जनता सेवक हूं। इसीलिए तो भाजपा का 400 पार पर आत्मविश्वास, 100 दोनों का एजेंडा तैयार करना, शपथ ग्रहण करने के लिए जगह का चयन चुनाव परिणाम से पहले करना लोकतंत्र का अपमान था। भाजपा को अपने कामों पर विश्वास रखना गलत नहीं था। परंतु उसे विश्वास पर अहंकार करना गलत था। फिर भी भाजपा सत्ता पर बैठ गया। उसे कुछ इस प्रकार समझे- नारद जी विष्णु भक्त थे यह सत्य था परंतु अपने को भक्त बताना उनका अहंकार था। जिसे विष्णु जी विश्व मोहिनी बनकर अहंकार तोड़ फिर अपने पास बैठाया। उसी तरह यह मतदान ने भाजपा का अहंकार तोड़ तीसरी बार सत्ता पर बैठा दिया है।
इस बार का चुनाव विपक्ष का भी अहंकार खत्म किया है। विपक्षी समझ बैठा था कि सत्ता गठबंधन से मिलता है। जनता के वोटो से नहीं। इसीलिए तो विपक्षी को गठबंधन पर गर्व था। परंतु यह कैसा गठबंधन था जिसमें गांठे ही गांठे हो बंधन नहीं दिखता था। ऐसा गठबंधन सिर्फ मोदी को हराने के लिए था। देश चलाने के लिए नहीं। जिसे इस बार के मतदाताओं ने सही से समझा परिणामतः अकेले भाजपा जितना सिट जीती उतना सीट विपक्षी के सारे गठबंधन मिलकर भी नहीं जीत पाए। यह लोकतंत्र का करारा तमाचा विपक्षी गठबंधन को मारा है।
अब भाजपा तीसरी बार सत्ता पा लिया है। यह मोदी की बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि नेहरू को पहली सत्ता किसी लोकतंत्र के द्वारा नहीं मिला था। गांधी जी की कृपा से सत्ता मिला था। विपक्षी अब भी सिर्फ विरोध करने के लिए ही सदैव तत्पर रहता है और वह इस चिज़ को अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझता है। तो भारत का लोकतंत्र उन्हें माफ नहीं करेगा। विपक्ष जनता के मुद्दों से ज्यादा महत्व अपना मुद्दा भ्रष्टाचारी को बचाने जैसे मुद्दों पर संसद ठप करता रहता है।जो उचित नहीं है इस बार लोकतंत्र की जीत एवं लोकतंत्र के सारे विरोधियों के मुंह पर करारा तमाचा पड़ा है। विपक्षी लोकतंत्र की दुहाई तो देता है। लेकिन लोकतंत्र से चुने प्रधानमंत्री को शुभकामनाएं देना विपक्ष अपमान समझता है। जबकि भारत विरोधी चीन और पाकिस्तान ने भी भारतीय प्रधानमंत्री को शुभकामनाएं देकर परंपरा कायम कर भारतीय विपक्ष के मुंह पर करारा तमाचा मारा है।