व्हाट्सएप कि देश का सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया मैसेजिंग प्लेटफार्म है, उसने बीते गुरुवार ( 25 अप्रैल ) को दिल्ली उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, “ हम किसी भी हालत में व्हाट्सएप के एंड-टू-एंड एंक्रिप्शन को खत्म नहीं कर सकते, लोग व्हाट्सएप्प का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें यह विश्वास है कि व्हाट्सएप के द्वारा उनका भेजा हुआ संदेश पूर्णत: गोपनीय है, ऐसे में एंड- टू- एंड एंक्रिप्शन को खत्म करना लोगों के विश्वास को तोड़ना तथा उनकी निजता के साथ खिलवाड़ करना होगा”।
व्हट्सएप का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता तेजस करिया ने आगे कहा कि, “अगर व्हाट्सएप पर किसी भी प्रकार का कोई दबाव डाला जाता है तो व्हाट्सएप भारत में अपनी सेवाएं प्रभावी रूप से बंद कर देगा।”
व्हाट्सएप ने भारत सरकार द्वारा लाए गए 2021 के सोशल मीडिया मध्यस्थों नियमों के एक प्रावधान के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
व्हाट्सएप ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दावा किया है कि मंत्रालय द्वारा लाए गए अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 के तहत संविधान द्वारा नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का कभी उल्लंघन करती है, साथ ही साथ व्हाट्सएप ने न्यायालय से अपील करते हुए कहा है कि न्यायालय प्रावधानों के संवैधानिक वैधता की भी जांच करें, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो सरकार को ऐसे नियम बनाने की इजाजत देता हो।
वर्तमान में इस मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ कर रही है।
रिपोर्ट – आशीष रंजन