48 साल बाद पोते की याचिका पर फिर से दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार
दिल्ली हाई कोर्ट 48 साल बाद भारत के पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड में सुनवाई के लिए तैयार हो गई है यह याचिका पूर्व रेल मंत्री के पोते वैभव मिश्रा के द्वारा लगाई गई है। पूर्व रेल मंत्री ललित मिश्रा की हत्या 1975 में समस्तीपुर में कर दी गई थी जब वह एक बड़े रेल लाइन की उद्घाटन के लिए गए थे। ललित नारायण मिश्रा कांग्रेस नेता और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री थे। ग्रेनाइट विस्फोट में घायल हो गए थे जिसके एक दिन के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। हालांकि पूर्व रेल मंत्री की हत्या मामले में निचली अदालत ने 2014 में ही चारों आरोपियों क्रमशः संतोषानंद, सुदेवानंद, गोपाल जी और रंजन द्विवेदी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पोते वैभव मिश्रा ने निष्पक्ष जांच की लगाई अर्जी
दिल्ली हाई कोर्ट 16 मई को इस मामले में सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैट की अध्यक्षता वाली पीठ ने वैभव मिश्रा की अर्जी दोषियों की एक अपील के साथ सूचीबद्ध की है। अर्जी में हत्या के लिए दोषी सिद्ध और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने को चुनौती दी गई है।
आखिर क्या हुआ था उस दिन
पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र 1975 ,2 जनवरी को समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बड़ी लाइन का उद्घाटन करने पहुंचे थे उन्होंने मंच पर अपना भाषण भी दिया था जब वह मंच से उतरने लगे तो दर्शकों में से किसी एक ने मंच पर ग्रेनाइट फेंका यह ग्रेनाइट मंच पर ललित जी के पास फट गया इसके बाद उन्हें और उनके छोटे भाई को गंभीर चोटे आई थी। हालांकि उनके छोटे भाई की जान बच गई थी। ललित जी कोअस्पताल ले जाया गया था जिसके एक दिन के बाद उनकी मौत हो गई थी। मृत्यु के वक्त उनकी उम्र 52 साल थी। इस हमले में रेलवे विभाग के क्लर्क रामकिशोर प्रसाद की भी जान चली गई थी समस्तीपुर रेलवे पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर यह केस सीआईडी को सौंप दिया था थोड़ी दिन बाद बिहार सरकार ने केस सीबीआई को सौंप दी।
परिवार ने कहा इलाज में भी हुई साजिश
ललित नारायण मिश्र के परिवार का कहना था कि उनके इलाज में भी साजिश की गई थी उन्हें जिस ट्रेन से पटना भेजा जाना था उसे बार-बार रोका गया जिससे वह देर से पटना पहुंची।